आधुनिक भौगोलिक विचारधारा
18 वीं शताब्दी तक का विकास
यूनानी भूगोलवेत्ता-
(1) होमर
(2) थेल्स
(3) अनेग्जीमैण्डर
(4) हिकैटियस
(5) हेरोडोटस
(6) प्लेटो
(7) अरस्तू
(8) थियोफ्रेस्टस
(9) इरेटोस्थनीज
(10) पोलीबियस
(11) हिप्पार्कस
(12) पोसिडोनियस
होमर-
होमर (Homer) एक महान ग्रीक कवि थे और वे भूगोलवेत्ता नहीं थे। होमर दो महत्वपूर्ण कार्य के विवरण के लिए जाने जाते हैं –
1.त्रोय के युद्ध (Trojan War) के विवरण के लिए 2.”इलियाड” (Iliad) और ओडिसी (Odyssey) की रचना के लिए जाने जाते हैं।
इलियाड में, होमर ने त्रोय के युद्ध के बारे में कई विवरण दिए हैं। इसमें, वे त्रोय नगर के विवरण के बारे में भी बताते हैं, जो आधुनिक तुर्की के एक क्षेत्र में स्थित था।
ओडिसी में, होमर ने यूनान की यात्रा के बारे में दिए हैं, जिसमें ओडिसीस नामक युद्ध के बाद अपने घर को लौटता है। इस कथा में, वे कई भूगोलिक विवरण देते हैं, जैसे कि जहाज के रास्ते, समुद्र तटों, द्वीपों, वातावरण और पर्यटन से संबंधित जानकारी हमें इस रचना के द्वारा पता चलती है।
इन्होंने हवाओं का प्रमुख नाम दिया-
पूरब से आने वाली हवाओं को युरस पश्चिम से जेफाइरस उत्तर से नोटस दक्षिण से बोरस।
थेल्स-
यूनानी प्रमुख भूगोलवेत्ता थेल्स (Thales) थे। वे ग्रीक दार्शनिक, वैज्ञानिक, और अभिज्ञानशास्त्री थे जो 6वीं और 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में जीवन बिताया।
थालेस को भौतिकी, ज्योतिष और भूगोल के क्षेत्र में अपनी विस्तृत जानकारी के लिए जाना जाता है। वे बड़े गणितज्ञ थे और गणित के लिए भी प्रसिद्ध थे।
थालेस ने सूर्य और चंद्रमा के लिए ज्योतिष टेबल तैयार किए थे, जिनमें वे उनके गतिशीलता के आधार पर चंद्रमा के चक्रवात के आने की भविष्यवाणी कर सकते थे। उन्होंने भूगर्भ की संरचना के बारे में भी अपने विचारों का विस्तार किया था और इसे स्थिर तत्वों से संबंधित माना था।
थालेस को समुद्र तटों, नदियों, लाल बूँदों और प्रकृति के अन्य पहलुओं का भी विस्तारित ज्ञान था। उन्होंने बाद में भूगोल के लिए बहुत कुछ योगदान दिया और उन्हें ग्रीक भूगोलवेत्ता के रूप में स्मरित किया जाता है।
अनेग्जीमैण्डर –
अनेग्जीमैण्डर (Anaximander) एक प्राचीन यूनानी दार्शनिक थे जो जन्म 610 ईसा पूर्व के आसपास में हुआ था। वे एक महान यूनानी दार्शनिक थे जो पूर्वी यूनान में उत्तरी आइजर के रूप में जाने जाते हैं। यह थेल्स का शिष्य थे और इन्होंने गणितीय भूगोल का संस्थापक किया था इन्होंने नोमोन का आविष्कार तथा मानचित्र पर सबसे पहले मापनी प्रदर्शित की थी।
हिकैटियस-
हिकैटियस ने विश्व को व्यवस्थित रूप से भूगोल में वर्णन किया इसलिए इन्हें भूगोल का पिता भी कहा जाता है। इन्होंने विश्व को तीन महाद्वीपों में बांटा एशिया लीबिया यूरोप में विभाजित किया। यह पृथ्वी को तश्तरीनुमा मानते थे। जो समुद्र से घिरा हुआ है।
हेरोडोटस-
हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है, समस्त इतिहास का विवेचना भौगोलिक दृष्टिकोण से तथा भूगोल का विवरण ऐतिहासिक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए यह है हेरोडोटस ने बताया।
हीरो डॉटर्स ने कहा कि मिश्र नील नदी की देन है ।
डेल्टा शब्द का प्रयोग सबसे पहले हेरोडोटस ने किया था।
प्लेटो-
फेडो (Phaedo) – यह एक दायरिक विचार है जो मृत्यु और जन्म के बीच आत्मा की महत्वपूर्णता को समझाता है। इसमें प्लेटो ने भूमंडल को एक वस्तु के रूप में वर्णन किया है और उसके साथ आत्मा के सम्बन्ध का उल्लेख किया है।
टिमेउस (Timaeus) – यह एक दार्शनिक रचना है जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, संरचना और उसके भौतिक तत्वों के वर्णन को समझाता है। भूमंडल और संग्रहण के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
कृतिलस (Critias) – यह भूगोल के बारे में रचना है जिसमें प्लेटो ने अटलांटिस के बारे में वर्णन किया है। उन्होंने यह दावा किया है कि अटलांटिस एक महान देश था जो आधुनिक यूरोप से भी बड़ा था।
अरस्तू-
ज्यामितिका (Geographika) – यह उनकी मुख्य रचना थी जो उनके भूगोल के अध्ययन के लिए सबसे अहम थी। इसमें वे विभिन्न देशों, समुद्रों, नदियों और पर्वतों के बारे में विस्तृत जानकारी दिए थे। इस रचना में उन्होंने पृथ्वी के व्यास, प्रदीप्ति तथा अक्षांशों को भी मापा था।
कारिका (Catasterismi) – यह एक रचना है जो उनके उपलब्ध ज्ञान पर आधारित है। इसमें वे उन तारों और नक्षत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं, जो उन्हें जानते थे।
घंटिका (Horologion) – यह रचना व्यवहारिक भूगोल के लिए है जिसमें उन्होंने सूर्यास्त और सूर्योदय की समय सीमाओं के लिए एक घड़ी का वर्णन किया है।
थियोफ्रेस्टस-
थियोफ्रेस्टस ने भूगोल के बारे में अपनी रचना कथेटिका गेओग्राफिका (Geographica) लिखी थी। इस रचना में उन्होंने पृथ्वी के विभिन्न भागों जीवित प्राणियों और वनस्पतियों के बारे में विस्तार से बताया था। उन्होंने अपनी रचना में जल, भूमि, वायु और अंतरिक्ष आदि के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में भी विस्तार से वर्णन किया था।
इरेटोस्थनीज-
भूगोलिका – इस ग्रंथ में इरेटोस्थनीज ने पृथ्वी का आकार, समतलता और अक्षांश-देशांतर जैसे भूगोल के मौलिक तत्वों पर चर्चा की। उन्होंने सूर्य के किरणों को उपयोग कर भूमि की परिधि का अनुमान लगाया वो था। इस ग्रंथ में उन्होंने यूनानी दुनिया में जाने वाले देशों, समुद्रों, नदियों, वातावरण और लोगों के विवरण का भी वर्णन किया था।
संख्यातन्त्र – इस ग्रंथ में इरेटोस्थनीज ने गणित के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने प्राकृत और समष्टि संख्या सिद्धांतों का वर्णन किया था और इनका उपयोग अंतरिक्ष और भूगोल के अध्ययन में किया था।
Desclamaer -
यह जानकारी किताबो तथा इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की गई है।
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